राज्य एवं शहर

आंगनबाड़ी केंद्रों की बदली तस्वीर

खेलते-खिलखिलाते नन्हे कदमों से संवर रहा भविष्य

महासमुंद, छत्तीसगढ़। नन्हे कदमों से गूंजते आंगन, दीवारों पर रंग-बिरंगी पेंटिंग्स, कविताएं गुनगुनाते बच्चे और खेल-खेल में सीखने की ललक कुछ ऐसी ही सजीव और संजीव छवि अब जिले के आंगनबाड़ी केंद्रों की बन गई है। महासमुंद शहरी सेक्टर-1 स्थित संजय नगर-2, दलदली रोड और विश्वकर्मा वार्ड के सक्षम आंगनबाड़ी केंद्र इसकी सजीव मिसाल हैं, जहां आंगनबाड़ी अब केवल पोषण और देखभाल का केन्द्र नहीं, बल्कि बच्चों के संपूर्ण विकास की पाठशाला बन चुकी हैं। इन केन्द्रों की सजावट किसी प्ले स्कूल से कम नहीं है। दीवारों पर उकेरी गई रंगीन चित्रकारी और शैक्षणिक चार्ट नन्हे मन को पढ़ाई की ओर आकर्षित कर रहे हैं। अक्षर ज्ञान, गिनती, कविताएं और व्यवहारिक जानकारियां बच्चों को सहज और रोचक तरीके से दी जा रही हैं।

संदेशों के माध्यम से सामाजिक बदलाव की दिशा में भी कदम बढ़ाए जा रहे हैं।

जितनी अच्छी वजन की रेखा, उतना अच्छा बच्चा देखा, लड़का-लड़की एक समान जैसे संदेश दीवारों पर उकेरे गए हैं, जो बाल देखभाल के साथ सामाजिक चेतना का संचार भी कर रहे हैं। यहां न केवल बच्चे बल्कि गर्भवती माताएं और किशोरी बालिकाएं भी लाभान्वित हो रही हैं। गर्भवती महिलाओं के लिए गर्म पौष्टिक भोजन की नियमित व्यवस्था है, साथ ही सुपोषण चैपाल जैसे आयोजनों के माध्यम से टीकाकरण व स्वास्थ्य परामर्श दिया जाता है। किशोरियों को स्वास्थ्य और स्वच्छता के प्रति जागरूक किया जा रहा है।

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कार्यक्रमों का प्रभावी क्रियान्वयन
सेक्टर पर्यवेक्षक श्रीमती शीला प्रधान बताती हैं कि यहां मुख्यमंत्री बाल संदर्भ योजना, प्रधानमंत्री मातृत्व वंदन योजना, नोनी सुरक्षा, महतारी वंदन, सुकन्या समृद्धि योजना जैसे कार्यक्रमों का प्रभावी क्रियान्वयन किया जा रहा है। इन योजनाओं के जरिए बालिकाओं और माताओं के स्वास्थ्य एवं अधिकारों की रक्षा की जा रही है।
रोचक तरीकों से दी जा रही जानकारी
आंगनबाड़ी केंद्रों में नियमित साफ-सफाई की जा रही है। आरओ वाटर प्योरीफायर, स्वच्छ किचन रूम और पर्याप्त खेल सामग्री यहां की विशेषता बन चुके हैं। बच्चों के लिए खेल घर उपलब्ध है और अर्ली चाइल्डहुड केयर के तहत भाषा, गणित आदि विषयों की बुनियादी जानकारी रोचक तरीकों से दी जा रही है। यहां पदस्थ आंगनबाड़ी कार्यकर्ता रूपा भारती और अंजू चंद्राकर बताती हैं कि यहां बच्चों के अन्नप्राशन संस्कार से लेकर किशोरी बालिकाओं तक के लिए विशेष जागरूकता कार्यक्रम होते हैं। महतारी समिति की बैठकें भी नियमित होती हैं, जिससे माताओं की सहभागिता भी सुनिश्चित होती है।

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